१
सावन मन
सुंदर चितवन
घोर सघन
घटा बन डोलता
हरियाला सावन
२
रिमझिम सी
सावन चांदनी में
बूंदों के झारे
मनभावन सारे
माधुर्यमय प्यारे
३
सावन द्वारे
सपनो भरी शाम
झूलों संग में
बूंदे सुर सजाए
लय तुम्हारे नाम
४
सावन साँझ
मन की अटारी पे
मोर सा नाचा
चांदनी लपेट के
आशिक लगा चाँद
५
बीती यादों ने
देखा जो सावन को
सन्देश भेजा
भिगो दिया मन को
अब तो आजाओ न
६
सावन बूंदे
बादल संग बंधी
धरा पे आयीं
चिड़ियाँ गाने लगीं
बूंदों की थाप पर
डॉ सरस्वती
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