यादें
1
विकल प्राण
यादों की आहट है
उल्कापात सी
2
भीगी यादें हैं
मधुर क्ष ण बीते
मन हैं रीते
3
यादें रेशमी
नीर बहते हुए
जल बिन्दु से
4
यादों की डोरी
बिस्तरबंद मन
बंधा ही रहा
5
यादों के पथ
मन की पगडण्डी
भटके हम
6
यादों भरे हैं
मधुकुम्भ मन के
फिर भी प्यासा
7
तारों भरी है
यादों की रजनी भी
मन भी दिप्त
8
गरजती सी
यादों भरी है आंधी
उड़ा मन भी 11
.धूप सी यादें
सूरज से उतरी
मन धरा पे
12
मन तितली
यादों के फूलों पर
मंडराती सी
13
मन लहरें
दरिया के पानी सी
बहती यादें
14
यादें बहकी
छलकते जाम सी
मन छलका
15
मन आकाश
चमकती हैं यादें
चाँद तारों सी
16
यादें अंकित
मन कैनवास पे
तस्वीरों जैसी
17
खामोश यादें
आँखों में आंसू बन
शाम -बरसीं
18
.यादों के लम्हे
साथ साथ चलते
दोस्त हो गए
19
.स्वेटर बुना
यादों भरी ऊन से
मन सलाई
20
शहनाई सी
मन की दुनिया में
गूंजती यादें
21
यादें गरजें
सावन की घटा सी
मन- बरसे
22
.भटकी यादें
आवारा बादल सी
बिन बरसे
23
यादों का चाँद
खोये खोये मन सा
गगन चढ़ा
25
आंसू के जैसी
यादें -पलकों सजी
ठहरी रहीं
26
हौले से आयीं
पतझड़ सी यादें
मन उदास
27
मन पाखी सा
यादों के पिंजरे में
छटपटाता
28
मन डोर पे
पतंग सी यादें
गगन उड़ीं
29
भीगा मौसम
यादें अंकुरित हो
उगती गयीं
डॉ सरस्वती माथुर
माँ के हाइकु .. १
प्रेम चूल्हे पे
ममता भरी रोटी
माँ है सेंकती
1
विकल प्राण
यादों की आहट है
उल्कापात सी
2
भीगी यादें हैं
मधुर क्ष ण बीते
मन हैं रीते
3
यादें रेशमी
नीर बहते हुए
जल बिन्दु से
4
यादों की डोरी
बिस्तरबंद मन
बंधा ही रहा
5
यादों के पथ
मन की पगडण्डी
भटके हम
6
यादों भरे हैं
मधुकुम्भ मन के
फिर भी प्यासा
7
तारों भरी है
यादों की रजनी भी
मन भी दिप्त
8
गरजती सी
यादों भरी है आंधी
उड़ा मन भी 11
.धूप सी यादें
सूरज से उतरी
मन धरा पे
12
मन तितली
यादों के फूलों पर
मंडराती सी
13
मन लहरें
दरिया के पानी सी
बहती यादें
14
यादें बहकी
छलकते जाम सी
मन छलका
15
मन आकाश
चमकती हैं यादें
चाँद तारों सी
16
यादें अंकित
मन कैनवास पे
तस्वीरों जैसी
17
खामोश यादें
आँखों में आंसू बन
शाम -बरसीं
18
.यादों के लम्हे
साथ साथ चलते
दोस्त हो गए
19
.स्वेटर बुना
यादों भरी ऊन से
मन सलाई
20
शहनाई सी
मन की दुनिया में
गूंजती यादें
21
यादें गरजें
सावन की घटा सी
मन- बरसे
22
.भटकी यादें
आवारा बादल सी
बिन बरसे
23
यादों का चाँद
खोये खोये मन सा
गगन चढ़ा
25
आंसू के जैसी
यादें -पलकों सजी
ठहरी रहीं
26
हौले से आयीं
पतझड़ सी यादें
मन उदास
27
मन पाखी सा
यादों के पिंजरे में
छटपटाता
28
मन डोर पे
पतंग सी यादें
गगन उड़ीं
29
भीगा मौसम
यादें अंकुरित हो
उगती गयीं
डॉ सरस्वती माथुर
माँ के हाइकु .. १
प्रेम चूल्हे पे
ममता भरी रोटी
माँ है सेंकती
२
नन्ही चिड़िया
माँ की ममता जैसी
उडती जाती
डॉ सरस्वती माथुर
माँ की ममता जैसी
उडती जाती
डॉ सरस्वती माथुर
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