शुक्रवार, 5 दिसंबर 2014

क्या लिखूँ ?

क्या लिखूं
सोच रही हूँ
फूल पे लिखूं या
शूल पे लिखूं?
ओस पे लिखूं या
पलाशों पे
मौसम पे लिखूं या
धूल पे लिखूं ?
रीतें हैं रिश्ते
सूना मन मयखाना
आशाओं का पर
भरा है खज़ाना
आप ही बताएं
भावों को सजाऊँ
या जाम पे लिखूं ?
मैं जिस मुकाम पे हूँ
खट्टी मीठी हैं यादें
क्या करूँ
बटोर संवेदनाएं
कहो तो
जन जन पे लिखूं
आम पे लिखूं ?
या सुवास बटोर
मौसम से
यादों भरी
शाम पे लिखूं?
डॉ सरस्वती माथुर

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