मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

" दीवाली का पर्व आया!"

" दीवाली का पर्व आया!"
जगमग रोशनी भर कर
घर मुंडेर दीप सजाया
उजाला पुरनूर फैलाया
पूजा का थाल लगाया ...

मन धरा पर सजा रंगोली
ख़ुशी की कोयल यूँ बोली
आओ संग मिल मनाएं
दीवाली का मौसम आया

बाती की यही थी आशा
सद्भाव की बोलो भाषा
उसी चाह से तम का
भयावह काल भगाया


बंदनवार द्वार पर तानी
लगी रात जैसे हो महारानी
फूलझड़ी,पटाखे अनार फोड़े
चकरी ने चक्कर लगाया

बच्चो में उल्लास छाया
रंगोली पर दीप जला
लक्ष्मी का किया आहवान
पर्व मंगल कुछ यूँ मनाया
डॉ सरस्वती माथुर

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2014

दिवाली पर कवितायें :"दीप जला कर !"

"दीप जला कर !"

मन को आओ

आलोकित कर लें

दीप जला कर

तम को हर लें
 
बुहार मन के
गहरे  अंधेरे
मन मुंडेर को भी
रोशन कर लें l


 

 पाँत से पाँत

 जोड़ कर रखें

 दीप-बाती में

 स्नेह का तेल भर लें !


 चोका

"लक्ष्मी का दीप !"

मन मुंडेर

आलोकित कर लें

नेह दीप से  

जीवन में धर लें

 द्धार पे फिर

 स्नेह बंदनवार

 लगा के फिर

आँगन चमकाये 

लक्ष्मी का दीप

 रंगोली पे जलाये

 दिव्य  प्रकाश

 चहुं ओर फैलाये

 अखंड दीप

 शांति सद्भाव का

 घर घर जलाए l

  3

"दीप  की लौ !"
 भीगी वर्तिका
 दीप का तेल सोख
 तम को  पीती l
  जलते दीप
  अँधियारा  बांध के
  रोशनी देते l
  समाहित हो 
  दीपक में वर्तिका
  उजास देती l    
 दीप का नेह
 वर्तिका है जानती  
 लौ को बांधती l
मन का तम
बुझाना होगा अब
नेह दीप से l
डॉ सरस्वती माथुर

दशहरे के दोहे ....".रावण का था मान !"

दशहरे के दोहे .....
1
स्वर्ण जडित लंका बसी रावण का था मान
पवन पुत्र ने फूँक दी जला दिया अभिमान l
सुनो चतुर्दिक गूँजता, राम-नाम मधुगान
जाओ रावण छोड़ के, तुम झूठा अभिमान
3
रावण का पुतला जला ,विजयादशमी-पर्व
परम सत्य विजयी हुआ, हुआ राम पर गर्व l
4
राम नाम की नाव में, होगा बेडा पार
खो जाओ प्रभु धाम में,यह जीवन का सार l
5
राम हृदय ने जान ली, वानर दल की भक्ति
मातु सिया की खोज मेँ ,सभी लगा दी शक्ति l
6
विजयी होके राम ने, किया दशानन अंत
देने को आशीश थे ,सँग मेँ सारे संत ।
7
मने सदा सद्भाव से , मनभावन त्यौहार
पूज राम को फिर करो , उनकी जयजयकार l
8
मिटे पाप संताप अब , आया पावन पर्व
रावण बध से मिट गया ,उसका सारा गर्व ।
9
धनुष चढाया राम ने ,जगी नई ये आश
हुआ विजय उद्घोष तब, और पाप का नाश l
10
विजयदशमी में बसा, है सच का रसपान,
उसी भाव से जल उठें, दीपों का दिनमान ।
11
भिन्न भिन्न हों मन सभी, किन्तु भावना एक,
शीश पापियों के सदा, कट कर गिरें अनेक ।
डॉ सरस्वती माथुर



शनिवार, 4 अक्तूबर 2014

"एक विश्वास का नाम राम !"


"एक विश्वास का नाम राम !"
माँ कहतीं थीं
सांसों के पिंजरे में
बंद कर लो
राम की चिरैया
 हैं वही जीवन खिवैया


सीखो उनसे
मर्यादा का पाठ
कभी न तोड़ो
अपना वादा
बांध लो मन में
सच्चाई की यह  गांठ
राम नाम तो
है एक पहचान


जो फूल सा फैलाता है
भक्ति की सुगंध
कहते थे पिता
 राम से बड़ा है
राम का नाम
एक विश्वास सा
 संग खड़ा है
 राम ही हैं विज्ञान



राम प्रकृति में
राम मन में
राम जीवन में
धरती से व्योम तक
राम ही देते हैं ज्ञान
आस्था बहाते
वही देवों के देव हैं
 रघुपति राघव हमारे
 राजा राम


राम नवमी पर
उनका बस रूप निहारो
प्रेम से उनका
नाम उच्चारो
होंगे पूरे सारे काम !
डॉ सरस्वती माथुर

शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2014

दशहरे के दोहे ...रावण का था मान


रावण का था मान
      (दोहे)

स्वर्ण जडित लंका बसी रावण का था मान
पवन पुत्र ने फूँक दी जला दिया अभिमान l

रावण का पुतला जला, विजयादशमी-पर्व
परम सत्य विजयी हुआ, हुआ राम पर गर्व l

राम नाम की नाव में, होगा बेडा पार
खो जाओ प्रभु धाम में, यह जीवन का सार l

राम हृदय ने जान ली, वानर दल की भक्ति
मातु सिया की खोज मेँ, सभी लगा दी शक्ति l

विजयी होके राम ने, किया दशानन अंत
देने को आशीष थे, संग में सारे संत ।

मने सदा सद्भाव से, मनभावन त्यौहार
पूज राम को फिर करो, उनकी जयजयकार l

मिटे पाप संताप अब, आया पावन पर्व
रावण बध से मिट गया, उसका सारा गर्व ।

डॉ सरस्वती माथुर