"प्रेम!"
1
ऋतु प्रेम की
बसंती हवाओं में
बिखरे रंग
2
प्रेम दीपक
जला जब मन में
खिला यौवन
3
प्रेम जुगनू
भावों की बाती जल़ा
रौशन हुआ
4
प्रेम गुलाब
मन को महकाए
नींद उडाये
5
प्रेम पराग
मौसम पे बरसा
तितली मन
6
प्रेम से भरी
भूली बिसरी यादें
महका मन
7
प्रेम पावन
कलकल नदी सा
बहता जाये
8
प्रेम का रंग
दहके पलाश सा
मन रंगता
9
प्रेम पलाश
फागुन हुआ मन
बसंत संग
10
भीगा ये मन
मौसम ने बजाई
प्रेम मृदंग
डॉ सरस्वती माथुर
1
ऋतु प्रेम की
बसंती हवाओं में
बिखरे रंग
2
प्रेम दीपक
जला जब मन में
खिला यौवन
3
प्रेम जुगनू
भावों की बाती जल़ा
रौशन हुआ
4
प्रेम गुलाब
मन को महकाए
नींद उडाये
5
प्रेम पराग
मौसम पे बरसा
तितली मन
6
प्रेम से भरी
भूली बिसरी यादें
महका मन
7
प्रेम पावन
कलकल नदी सा
बहता जाये
8
प्रेम का रंग
दहके पलाश सा
मन रंगता
9
प्रेम पलाश
फागुन हुआ मन
बसंत संग
10
भीगा ये मन
मौसम ने बजाई
प्रेम मृदंग
डॉ सरस्वती माथुर
सादर नमन
जवाब देंहटाएंपत्रिका में इसे दे रही हूँ... आपको ख़ुशी होगी...