मौसम बन
खोया सा मन
सावन बदली सा
बरस गया
छुईमुई सा
खोया सा मन
सावन बदली सा
बरस गया
बूंदों की सुन
मधुरिम सी ताने
नवरंगी नभ में
बिखर गया
मधुरिम सी ताने
नवरंगी नभ में
बिखर गया
इन्द्रधनुष
ख्वाबों का बन कर
ख्वाबों का बन कर
सावन में लौटा तो
निखर गया
निखर गया
छुईमुई सा
वीरबहुटी रूप में
वसुंधरा से मन
लिपट गया!
डॉ सरस्वती माथुर
वसुंधरा से मन
लिपट गया!
डॉ सरस्वती माथुर
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