मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

हाइकु ...मिले . जुले हाइकु व धूप पर कवितायें ! 1 धूप 2 धूप के लच्छे

हाइकु:

धूप

1

धूप लहरें
 माणिक बरसाता
गुलमोहर l

2

सूरज जमा
दिन हुआ बर्फ सा
धूप ठिठुरी l

3

दिया ऋतु ने
 कच्ची धूप सा सोंधा
हरसिंगार l

4

सर्द हवाएं
कोहरे की चादर
 आओ ना धूप l
5

सूर्य सुबह
धूप ओढ़ के आया
सभी को भाया l

6

झरती बर्फ
रुई रुई मौसम
 खो गयी धूपl

7

कड़ी धूप मे
 बेकल से परिंदे
सूर्य में आग l
8

रुई सी भोर
धूप के सायों संग
खिली खिली सीl

9

धूप पतंग
सांझ के कंधे पर
अटक गयी l
10

रात की स्याही
भोर के कागज़
 पे धूप कलम l

11

पंक्तिबद्ध सी
 फूल की पंखुड़ियां
धूप पतंग l

12

तपता सूर्य
धूप की लहरों में
अंगारा दिन l

13

साँझ आई तो
सूरज ने उतारा
धूप का चश्मा l

14

आंगन छाई
 चुटकी भर धूप
मुट्ठी में कैद l

15

चमकती सी
रसमय थी भोर
भीगी धूप में l

16

धूप कड़ी थी
सबके मन भाया
पेड का साया l

17

ठंडा मौसम
 बादल की ओट में
 छुपी थी धूप l

18

कच्चे ख्वाब- सा
आता -ज़ाता मौसम
धूप -छाँव- सा l
19
सूर्य दीप तो
धूप जलती हुई
अगरबत्ती l
20
खोल सी गयी
सरजमुखी धूप
सूर्य की आँखें l
21
धूप व सूर्य
रूह और जिस्म से 
संग  रहते
 
डॉ सरस्वती माथुर

"बौराई धूप !"
1

कच्ची थी धूप

आँगन बुहार के

 तरु पे चढ़ी l

2

खोल करके

सूरज  की चादर 

धूप  ने ओढ़ीl

3

नव प्रभात

धूप - भँवरों पर

 हुआ मोहित l

4

धूप  के रंग

फुलकारी काढ़ते

धरा चुन्नी पे l

5

प्रेत सी डोले

धरा  आँगन पर  

बौराई  धूप  l 

डॉ सरस्वती माथुर
QaUPa !"
QaUPa
tuma BaI saca

iktnaI AkolaI h
aomaOnao A@sar doKa hO tumho
PahaD,aMo
poD,aoM pr
]dasa saI

 PasarI rhtI ha
osaubah ko p`a^MgaNa maoM
ek igalahrI saI
tuma kutr kutr kr
KatI
hao

 samaya ko fla kao
AaOr
fudk fudk k
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caZ, jaatI hao
Saama
ko poD, Par
 QaUPa, Aaja tumho

batlaanaa haogaa ik
AakaSa ka
 haiSayaa CaoD, kr
tuma Acaanak
]D, jaatI hao
 iksa parÆ



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