हाइकु:
धूप
1
धूप
लहरें
माणिक बरसाता
गुलमोहर l
माणिक बरसाता
गुलमोहर l
2
सूरज
जमा
दिन हुआ बर्फ सा
धूप ठिठुरी l
दिन हुआ बर्फ सा
धूप ठिठुरी l
3
दिया ऋतु
ने
कच्ची धूप सा सोंधा
हरसिंगार l
कच्ची धूप सा सोंधा
हरसिंगार l
4
सर्द
हवाएं
कोहरे की चादर
आओ ना धूप l
5
कोहरे की चादर
आओ ना धूप l
5
सूर्य
सुबह
धूप ओढ़ के आया
सभी को भाया l
धूप ओढ़ के आया
सभी को भाया l
6
झरती
बर्फ
रुई रुई मौसम
खो गयी धूपl
रुई रुई मौसम
खो गयी धूपl
7
कड़ी धूप
मे
बेकल से परिंदे
सूर्य में आग l
8
बेकल से परिंदे
सूर्य में आग l
8
रुई सी
भोर
धूप के सायों संग
खिली खिली सीl
धूप के सायों संग
खिली खिली सीl
9
धूप
पतंग
सांझ के कंधे पर
अटक गयी l
10
सांझ के कंधे पर
अटक गयी l
10
रात की
स्याही
भोर के कागज़
पे धूप कलम l
भोर के कागज़
पे धूप कलम l
11
पंक्तिबद्ध सी
फूल की पंखुड़ियां
धूप पतंग l
फूल की पंखुड़ियां
धूप पतंग l
12
तपता
सूर्य
धूप की लहरों में
अंगारा दिन l
धूप की लहरों में
अंगारा दिन l
13
साँझ आई
तो
सूरज ने उतारा
धूप का चश्मा l
सूरज ने उतारा
धूप का चश्मा l
14
आंगन
छाई
चुटकी भर धूप
मुट्ठी में कैद l
चुटकी भर धूप
मुट्ठी में कैद l
15
चमकती
सी
रसमय थी भोर
भीगी धूप में l
रसमय थी भोर
भीगी धूप में l
16
धूप कड़ी
थी
सबके मन भाया
पेड का साया l
सबके मन भाया
पेड का साया l
17
ठंडा
मौसम
बादल की ओट में
छुपी थी धूप l
बादल की ओट में
छुपी थी धूप l
18
कच्चे
ख्वाब- सा
आता -ज़ाता
मौसम
धूप -छाँव-
सा l
19
सूर्य दीप
तो
धूप जलती
हुई
अगरबत्ती
l
20
खोल सी गयी
सरजमुखी
धूप
सूर्य की
आँखें l
21
धूप व सूर्य
रूह और जिस्म से
संग रहते
रूह और जिस्म से
संग रहते
डॉ
सरस्वती माथुर
"बौराई धूप !"
1
कच्ची थी धूप
आँगन बुहार के
तरु पे चढ़ी l
2
खोल करके
सूरज की चादर
धूप ने ओढ़ीl
3
नव प्रभात
धूप - भँवरों पर
हुआ मोहित l
4
धूप के रंग
फुलकारी काढ़ते
धरा चुन्नी पे l
5
प्रेत सी डोले
धरा आँगन पर
बौराई धूप l
डॉ सरस्वती माथुर
" QaUPa !"
" QaUPa !"
QaUPa
tuma BaI saca
iktnaI AkolaI h
aomaOnao A@sar doKa hO tumho
PahaD,aMo poD,aoM pr
]dasa saI
PasarI rhtI ha
osaubah ko p`a^MgaNa maoM
ek igalahrI saI
tuma kutr kutr kr
KatI hao
samaya kofla kao
AaOr fudk fudk kr
caZ, jaatI hao
Saama ko poD, Par
QaUPa, Aaja tumho
batlaanaa haogaa ik
AakaSa ka
haiSayaa CaoD, kr
tuma Acaanak
]D, jaatI hao
iksa parÆ
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