"पाहुन मन !"
1
रोली- चन्दन
कभी मन लगता
ज्यूँ वृन्दावन l
2
चाँद बौराए
चांदनी देख के वो
ठंडा हो जाए l
3
पाहुन मन
पहुंचा तुम तक
करो स्वागत l
4
नभ अकेला
चह्चहाये पाखी
तो सजा मेल़ा l
5
मन बुहार
यादों की हवाएं भी
शांत हो गयी l
डॉ सरस्वती माथुर
माहिया :)..?
"तुझे निहारूँ तो !"
1
नैना क्यों भर आये
तुमको देखा तो
आँसू थे झर आये
2
हैं आँखें कजरारी
तुझे निहारूँ तो
हो जाती मतवारी
3
डूबी डूबी आँखें
उड़ती हैं नभ में
बन पंछी की पाँखें !
4
हैं दिल के तार बजे
मेरी आँखों में
प्रीत के सपने सजे !
5
हैं सपने सतरंगी
नींदें उडी- उडी
यादों की बिछी दरी !
डॉ सरस्वती माथुर
1
रोली- चन्दन
कभी मन लगता
ज्यूँ वृन्दावन l
2
चाँद बौराए
चांदनी देख के वो
ठंडा हो जाए l
3
पाहुन मन
पहुंचा तुम तक
करो स्वागत l
4
नभ अकेला
चह्चहाये पाखी
तो सजा मेल़ा l
5
मन बुहार
यादों की हवाएं भी
शांत हो गयी l
डॉ सरस्वती माथुर
माहिया :)..?
"तुझे निहारूँ तो !"
1
नैना क्यों भर आये
तुमको देखा तो
आँसू थे झर आये
2
हैं आँखें कजरारी
तुझे निहारूँ तो
हो जाती मतवारी
3
डूबी डूबी आँखें
उड़ती हैं नभ में
बन पंछी की पाँखें !
4
हैं दिल के तार बजे
मेरी आँखों में
प्रीत के सपने सजे !
5
हैं सपने सतरंगी
नींदें उडी- उडी
यादों की बिछी दरी !
डॉ सरस्वती माथुर
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