मंगलवार, 2 दिसंबर 2014

हाइकु ..... "पाहुन मन !"

"पाहुन मन !"

1

रोली- चन्दन

कभी मन लगता

ज्यूँ वृन्दावन l

2

चाँद बौराए

चांदनी देख के वो

ठंडा हो जाए l

3

पाहुन मन

पहुंचा तुम तक

करो स्वागत l

4

नभ अकेला

चह्चहाये पाखी

तो सजा मेल़ा l

5

मन बुहार

यादों की हवाएं भी

शांत हो गयी l

डॉ सरस्वती माथुर

माहिया :)..?

"तुझे निहारूँ तो !"

1

नैना क्यों भर आये

तुमको देखा तो

आँसू थे झर आये

2

हैं आँखें कजरारी

तुझे निहारूँ तो

हो जाती मतवारी

3

डूबी डूबी आँखें

उड़ती हैं नभ में

बन पंछी की पाँखें !

4

हैं दिल के तार बजे

मेरी आँखों में

प्रीत के सपने सजे !

5

हैं सपने सतरंगी

नींदें उडी- उडी

यादों की बिछी दरी !

डॉ सरस्वती माथुर

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