हाइकु
१
पेड़ों के साये
लरजती धूप में
तपतपाये l
2
मन आकाश
पतंग सी लुटती
नींद हमारी l
3
यादें रोक लें
मन में चलो अब
लगाएं कर्फ्यू l
4
सजी संवरी
चांदनी को देख के
चाँद बिखरा l
5
नींद नभ में
ख्वाब पलकों पर
चिड़िया मन l
6
भीगे मौसम
मन की डायरी पे
स्याही फैलाए l
७
बिछड़े पात
तरु अकेला झेले
यह आघात
8
संध्या की चुन्नी
रंगरेज सा रँगें
डूबता सूर्य l
9
चाँद तारों की
चौपाल बैठी साथ
हुई जो रात l
10
रूह अकेली
शरीर घर छोड़
यात्रा को गयी l
डॉ सरस्वती माथुर
पेड़ों के साये
लरजती धूप में
तपतपाये l
2
मन आकाश
पतंग सी लुटती
नींद हमारी l
3
यादें रोक लें
मन में चलो अब
लगाएं कर्फ्यू l
4
सजी संवरी
चांदनी को देख के
चाँद बिखरा l
5
नींद नभ में
ख्वाब पलकों पर
चिड़िया मन l
6
भीगे मौसम
मन की डायरी पे
स्याही फैलाए l
७
बिछड़े पात
तरु अकेला झेले
यह आघात
8
संध्या की चुन्नी
रंगरेज सा रँगें
डूबता सूर्य l
9
चाँद तारों की
चौपाल बैठी साथ
हुई जो रात l
10
रूह अकेली
शरीर घर छोड़
यात्रा को गयी l
डॉ सरस्वती माथुर
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