सेदोका
"शरद ऋतु आयीl "
1
सर्द मौसम
कोहरा ओढ़ कर
सुबह धूप पर
हाथ सेंकता
लगता मनभावन
अलाव सुहावन l
2
धरा पे डोले
कंपकंपाती धूप
मौसम ने बदला
अपना रूप
बैठ कोहरे पर
शरद ऋतु आयीl
3
घना घना सा
सुबह का कोहरा
सर्द हवाएँ चली
धरा के द्धारे
देह कंपकंपाई
ठिठुरी अमराईl
4
आयी सर्दियाँ
कंपकंपाया तन
कोहरे भरी राते
सांझ होते ही
बुझा बुझा सा मन
अलाव को घेरता l
5
बर्फ हवाएँ
कोहरे का परदा
कंपकंपाता तन
सर्द रात में
औसारे बैठ कर
अलाव है धोंकता l
6
सर्द है रातें
कंपकंपाते दिन
बर्फीली वादियों में
जाड़े की धूप
शीत लहरों पर
जैसे गरम बिछौनाl
डॉ सरस्वती माथुर
"शरद ऋतु आयीl "
1
सर्द मौसम
कोहरा ओढ़ कर
सुबह धूप पर
हाथ सेंकता
लगता मनभावन
अलाव सुहावन l
2
धरा पे डोले
कंपकंपाती धूप
मौसम ने बदला
अपना रूप
बैठ कोहरे पर
शरद ऋतु आयीl
3
घना घना सा
सुबह का कोहरा
सर्द हवाएँ चली
धरा के द्धारे
देह कंपकंपाई
ठिठुरी अमराईl
4
आयी सर्दियाँ
कंपकंपाया तन
कोहरे भरी राते
सांझ होते ही
बुझा बुझा सा मन
अलाव को घेरता l
5
बर्फ हवाएँ
कोहरे का परदा
कंपकंपाता तन
सर्द रात में
औसारे बैठ कर
अलाव है धोंकता l
6
सर्द है रातें
कंपकंपाते दिन
बर्फीली वादियों में
जाड़े की धूप
शीत लहरों पर
जैसे गरम बिछौनाl
डॉ सरस्वती माथुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें