मंगलवार, 17 नवंबर 2015

सेदोका

1
जिंदगी नदी
अस्थाई पुल  जैसी
डगमगाती रही
पार जाने की
मायावी गति भी
झकोले खाती रही l
2
जुगनू मन
झिलमिल करता
 अमृत सा  झरता
 तम  पी कर
 चाँद चाँदनी संग
अमावस को हरता  l
3
कभी कभार
अतीत आ जाता है
जब बहुत पास
मन पाखी सा
 दूर उड जाता है
बेगाना लगता है l
4
बंजारा मन
अतीत गलियों में
मायावी यादों संग
निर्द्वेंद उड़ता
पगडंडियाँ भूल के
फिरकी सा घूमता l
5
सारे सपने
नैनों में बंद कर
नींद की तितलियाँ
उड़ती फिरे
सतरंगी फूलों पे  
मायावी जाल बुन l
6
भीड़ भरी है
जिंदगी की राहें भी
असंख्य चेहरे हैं
दिशाहीन हो
गंतत्व के बिना ही
दौड़ते जा रहें हैं l














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