मंगलवार, 17 नवंबर 2015

हाइकु.... बासंती गीत


हाइकु 
1.
शाखाओं ने बाँधी
पातों की झांझर तो
हवायें बोलीं।
2.
पाखी गुंजाये
हवाओं में संगीत
बासंती गीत ।
3.
ठंडे सवेरे
राता को  कांटे  बिछा के
रातें थीं सोयीं  ।
4.
गुलमोहर
तुम्हारी ललाई से
बसंत आया ।
5.
सवेरा जागा
सूर्य सा मन मेरा
धूप सा भागा।
6.
राज खोलती
कुछ ख़ामोशियाँ भी
रहें बोंलतीं ।
7.
सर्दी की भोर
अलाव सूरज पे
धूप तापती।
डाँ सरस्वती माथुर 

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