गर्मी के हाइकु
"सूखें हैं क्षीर !:"
1
गर्मी प्रचंड
धूप तपाये नीर
सूखें हैं क्षीर l
2
सूरज छोड़े
छज्जे -आँगन- बाण
मन वीरान l
3
धूप के रंग
हरदम रहते
सूर्य के संग l
4
गर्म धूप भी
ढूंढती डोल रही
ठंडी सी छाँह
5
धरा तड़की
धूप पत्थर फेंके
जब सूर्य ने l
6
गर्मी के बाण
टपकता पसीना
खोई है छाँव l
7
दहका मन
धरा हुई तंदूर
सूर्य है क्रूर l
8
धूप नौंचती
सूरज का चेहरा
झरे पसीना l
9
मोम सी धूप
सूरज के ताप से
गलती जाये !
10
दुपहरियाँ
गर्मियों की जो आई
मन भी जला l
डॉ सरस्वती माथुर
"सूखें हैं क्षीर !:"
1
गर्मी प्रचंड
धूप तपाये नीर
सूखें हैं क्षीर l
2
सूरज छोड़े
छज्जे -आँगन- बाण
मन वीरान l
3
धूप के रंग
हरदम रहते
सूर्य के संग l
4
गर्म धूप भी
ढूंढती डोल रही
ठंडी सी छाँह
5
धरा तड़की
धूप पत्थर फेंके
जब सूर्य ने l
6
गर्मी के बाण
टपकता पसीना
खोई है छाँव l
7
दहका मन
धरा हुई तंदूर
सूर्य है क्रूर l
8
धूप नौंचती
सूरज का चेहरा
झरे पसीना l
9
मोम सी धूप
सूरज के ताप से
गलती जाये !
10
दुपहरियाँ
गर्मियों की जो आई
मन भी जला l
डॉ सरस्वती माथुर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें