सोमवार, 18 मई 2015

कहानी---- चिरसंगिनी


 ईश्वर नारायण दफ़तर पहुंचे ही थे कि फोन की घंटी टनटना उठी lउनके बेटे सिद्धात  की आवाज़ थी -
-"पापा फौरन  घर  लौट आओ  ,मम्मी अचानक से बेहोश हो गयी हैं "
ओह माई गौड़... अरे बेटा , क्या हुआ ,सुबह तो  भली चंगी थी क्या ,डॉक्टर को बुलाया  तुमने ?
"पापा प्लीज , सवाल करने का समय नहीं है आप जल्दी पहुँचो घर ! "दूसरी तरफ से फोन रख दिया गया था !
 दो मिनट तक ईश्वर नारयण सकते में बैठे रहे ,वह पेशोपश में पड गए थे ,उन्हे लगा उनके दिमाग की नस फट जाएगी ,अब क्या होगा?आज तो बहुत महत्व पूर्ण मीटिंग हैं ,बरसों पुराने सपने के साकार होने का दिन है आज ,नए प्रोजेक्ट्स पर फैसला है  !  चाइना से  विशेषज्ञ आए हुए हैं l सारे दिन उन्ही के साथ विचार विमर्श होगा ! इस  बिजनेस मीटिंग पर उनका आने वाला कल ही नहीं टिका है पर जीवन के सपने भी टिके हैं lपूरी ज़िंदगी मेहनत की है उन्होने आज का दिन देखने के  लिए, एक मैराथन दौड़ दौड़ी है और अब मंज़िल बिलकुल हाथ भर की दूरी पर है ! एक लंबी उसांस भर कर उन्होने टेबल पर रखी घंटी दबाई , अलादीन के चिराग के   जिन्न की तरह   चपड़ासी हरीराम उनके सामने हाजिर हो गया तो बाकलीवाल जी ने तुरंत उसे  आदेश दिया -" मैनेजर बाकलीवाल को जल्दी से  बुलाओ हरी राम  l"
"पर सर वो तो अभी तक आए ही नहींl"हरीराम ने जवाब दिया
" अरे ,आए ही नही हैं ? आज तो उन्हे बहुत ही जल्दी आना चाहिए था ,उन्हे फ़ौरन  फोन लगाओ
हरीराम !"ईश्वर नारायण ने जरा तेज स्वर में कहा! फोन  मिलाया तो  देर तक फोन की घंटी  बजती रही पर बाकलीवाल ने उठाया नहीं ! बार बार वॉइस मेल बोल रहा था !ईश्वर नारायण को नो आन्सर का सिंबल तीर की तरह चुभ रहा था lतभी  ईश्वर नारायण ने  कमरे के पारदर्शी काँच से बाहर देखा कि ईश्वर नारायण लगभग  भागते हुए से चले आ रहे हैं !"
सौरी  सर सौरी ,मैंने अभी आपका  मिस काल देखा ! फोन लगाया तो आपका कनैक्ट नहीं हो पा  रहा था ...सौरी सर ,मैं लेट हो गया हूँ ...क्या हुक्म है सर ?"
" भाई बाकलीवाल तुम्हें तो आज बहुत जल्दी आना था, इतनी महत्वपूर्ण मीटिंग का दायित्व तुम पर था और तुम लेट कैसे आ रहे हो ?ईश्वर नारायण ने हैरानी से कहा
जी बिलकुल जल्दी आना था हुक्म  पर इमजेंसी आ गयी , दरअसल मेरी पत्नी के सर में बहुत तेज दर्द  था ,चक्कर भी आ रहे थे ,उल्टियाँ हो रही थी तो मुझे तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा , कुछ टेस्ट करवाए ,डॉक्टर ने अभी भी उन्हे अस्पताल में ही  ओबसरवेशन के लिए रखा हुआ है ,मेरा फोन भी साइलेंट पर था हुक्म ! बस उन्हे दवाईयाँ देकर भागा चला आ रहा हूँ मीटिंग चूंकि महत्वपूर्ण थी इसलिए छुट्टी भी नहीं ले सकता था ।सर अब हाजिर हूँ हुक्म करें !"
" ठीक है बाकलीवाल पर अब मुझे भी तुरंत जाना होगा ,मेरी भी पत्नी की अचानक से तबीयत खराब हो गयी है ,बाकलीवाल सारी तैयारी कर लेना प्लीज ,जो ओपचारिकताएँ हैं पूरी करके मुझे खबर करना ,मैं जल्दी लॉट कर आता हूँ !
"हुक्म..." बाकलीवाल ने फाइव स्टार बैरे की तरह सर झुका कर अभिवादन किया l
ईश्वर नारायण जी घर की तरफ चल पड़े ! बार बार यही सोच रहे थे कि आखिर क्या हुआ होगा कि उनकी पत्नी  सुनन्दा बेहोश होगईं  , दोनों ने सुबह साथ ही नाश्ता किया है ,बिलकुल ठीक थी वो, कोई तनाव भी नहीं
 था lभगवान की कृपा से उनका कारोबार भी अच्छा खासा चलता है ,कोई कमी नहीं है !घर में भी सब सुविधाएँ हैं ! हाँ सुनन्दा को मधुमेह की शिकायत जरूर हो गयी है ,जरूर आज शुगर बढ़ गयी होगी !
यही सब सोचते हुए ईश्वर नारायण जी घर पहुंचे तो देखा एम्बुलेंस  बाहर खड़ी थी और अस्पताल जाने की पूरी तैयारी थी उन्हे देखते ही बेटे ने अंगुठे से इशारा किया और उन्होने भी गाड़ी अस्पताल की तरफ मोड दी ! अस्पताल पहुंचे तो बाहर परिसर में कर्मचारी भी  तत्पर थे ,स्ट्रेचर तैयार खड़ा था ,तुरंत सुनन्दा   को आई सी यू में ले जाया गया !
ईश्वर नारायण जी बाहर गलियारे में बैचनी से चहलकदमी करते रहे  ,फोन पर बीच बीच में मीटिंग की जानकारी भी ले रही थे ! आज बहुत ही महत्वपूर्ण दिन था उनके लिए ,बहुत महत्वपूर्ण बिजनेस डील होनी थी ,जिसके लिए उन्होने बरसों इंतज़ार किया था 1जो प्रोजेक्ट आज सेंकशन  होना था ,उससे उनकी जिंदगी ही पलट जाएगी और उनकी गिनती करोड़पति बिजनेसमैंन   की लिस्ट में शुमार हो जाएगी 1,ओह सुनन्दा तुम्हें आज ही बेहोश होना था सोच कर जरा भावुक हो गए ईश्वर नारायण   ,फिर उन्होने एक गहरी सांस ली यह सोच कर कि यह तो बहुत अच्छा हुआ कि उन का बेटा अभी छुट्टियों में यहाँ आया हुआ है ,वह इंजीनियरिंग के अंतिम वर्ष में पढ़ रहा है !,एक शादीशुदा बेटी भी है पर वह  लंदन में रहती है ,फिर उन्होने अपने को झकझोरा ,कि मैं ऐसे कैसे सोच सकता हूँ कि  सुनन्दा को आज ही बेहोश होना था !वह कैसे भूल सकते हैं कि आज वो जो कुछ भी हूँ उसका पूरा श्रेय सुनन्दा को जाता है !वरणा जब  उनकी शादी हुई थी तो ज्वैलेरी के  एक  बिजनेस मैंन के यहाँ एक छोटे से पद पर ही तो काम करते थे !धीरे धीरे वहीं रहते हुए ,काम करते हुए उन्हे बिजनेस की पकड़ आ गयी थी और आज इस मुकाम पर आ पहुंचे हैं !घर पर तो वह बहुत ही कम रह पाते थे , सामाजिक  , पारिवारिक व बच्चों के दायित्व सभी सुनन्दा संभालती थी lईश्वर नारायण से  सुनन्दा से कई बार कहा भी _"सुनो जी ,बहुत कमा लिया ,अब कुछ समय परिवार को  भी देना चाहिए आपको  l"पर  वो कहते हैं न कि खून मुंह लग जाता है तो आसानी से छूटता नहीं है !ईश्वर नारायण जी का भी  यही हाल  हुआ l
समय चक्र चलता गया वह व्यस्त होते चले गए ,कई बार तो महीनो बाहर रहना पड़ता था ,घर आते फिर आगे की योजनाएं शुरू हो जाती थीं lअपनी शादी की पच्चीसवीं वर्षगांठ तक में वह समय से नहीं पहुँच पाये थे, तो सुनन्दा से लंबे समय तक अबोला रहा !
तभी ईश्वर नारायण ने अस्पताल के डॉक्टर को अपनी ओर आते देखा तो वो वर्तमान में लौटेl इस बीच  उनके    काफी रिश्तेदार भी अस्पताल में इकट्ठे   हो गए थे lडॉक्टर तेज़ कदमो से चलते हुए ईश्वर नारायण जी के पास आए और उन्होने उन्हे सुनन्दा के स्वास्थ्य की  पूरी जानकारी दी -
"सर ,ब्रेन हैम्रेज हुआ है ,ऑपरेशन करना जरूरी है पर बहुत रिस्क है ,,उनकी याददास्त  जा सकती है वे कोमा में भी जा सकती हैं ,पैरालाइज़  भी हो सकती हैं ,आप इजाजत दें तो तुरंत ऑपरेशन कर दें l"
"डॉक्टर प्लीज ,जो करना है ,जल्दी करें ,बताएं कहाँ साइन करना होगा ?
"जीआप  वो औपचारकिताएँ पूरी कर लें  ,मैं ऑपरेशन की तैयारी करता हूँ !ईश्वर नारायण का बेटा शिव व अन्य रिश्तेदार उन्हे सांत्वना दे खानापूर्ति में लग गए l
तभी बाकलीवाल जी का फोन आ गया, उनके स्वर में खुशी थी -"सर मुबारक हो ,विशेषज्ञों को प्रोजेक्ट पसंद आ गया है,इस संदर्भ में वे आपसे  बात करना चाहेंगे ,डील आज ही फाइनल करनी होगी  ,विशेषज्ञ आज ही वापस  जाएँगे ,आगे के उनके कार्यक्रम तय हैं ,आज शाम की  उनकी फ्लाइट है! आपके हस्ताक्षर अनिवार्य हैं  उनकी ,कुछ शर्ते भी हैं  जिन पर आपके साथ बैठ कर विशेषज्ञ  बात करना चाहेंगे ,,आप आ जाइए ताकि यह काम निपट जाये l"
"यह तो बहुत अच्छी खबर सुनाई बाकलीवाल ,मेरे बीस साल की तपस्या आज पूरी होने जा रही है ,अभी पहुंचता हूँ वहाँ तब तक तुम उनकी खातिर तवजा करो lईश्वर नारायण ने घड़ी देखी, चलने को तत्पर हो गए lबेटे को बोले -शिव मैं एक घंटे में वापस आता हूँl "
"कहाँ जा रहे हो पापा ?शिव ने हैरानी से पिता को देखा l "
"आकर  बताता हूँ शिव कुछ देर जाना होगा ,जरूरी हैl" कह कर ईश्वर नारायण कार की ओर बढ़ गए l कार पार्किंग से दूर खड़ी  थी !तेज़ कदमों से चलते हुए वह वहाँ पहुंचे !ड्राईवर को कार में न पाकर वो अगले बगले देखने  लगे 1 तभी उन्होने देखा की उनकी कार के करीब ही एक व्यक्ति अपनी पत्नी को व्हील चैयर से उतार कर कार में बैठा रहा था ,उस व्यक्ति की पत्नी को उन्होने कहते सुना -"अजी अब आप जाओ फौरन ऑफिस ,ड्राईवर जी मुझे घर छोड़ देंगे आज आपकी इतनी महत्व पूर्ण मीटिंग भी है न ,तभी उन्होने पीछे मूड कर देखा तो हैरान रह गए  कि वह व्यक्ति और कोई नहीं बाकलीवाल था l
ईश्वर नारायण का मुंह खुला का खुला रह गया था वह लगभग चीखते हुए से बोले -"बाकलीवाल तुम यहाँ ? पर तुमने तो अभी फोन किया था कि  प्रोजेक्ट ...." शेष शब्द उनके गले में अटक कर रह गए 1"
"जी हुक्म मीटिंग अच्छी हो गयी ,आपके ऑफिस से निकलेने के एकदम बाद डॉक्टर साब का फोन आ गया था कि पत्नी को डिस्चार्ज का रहे हैं  तो मेरा पहुंचाना जरूरी था अस्पताल ,मैंने तब अपने हिस्से का दायित्व मेरे जूनियर रामबाबू को
 सौंप दिया और फोन से हम जुड़े रहे,आप तो जानते हैं हुक्म वो कितना काबिल बंदा है ,मेरे पास कोई ऑप्शन भी नहीं था,हुक्म मुझे मालूम है डील महत्व पूर्ण थी ,पर मेरी पत्नी से ज्यादा नहीं ,यदि मैं कठिन समय में अपनी सहधर्मिणी का साथ नहीं दे सकता था तो फिर मैं कैसा जीवन साथी ,हुक्म जीवन में रुपैया पैसा सब अपनी जगह  है पर आपकी चिरसंगिनी से बढ़ कर नहीं, वो तो सबसे अनमोल है" कह कर बाकलीवाला ने ईश्वर नारायण के आगे दोनों हाथ जोड़ दिये !
 फिर एक गहरी साँस,भर कर बाकलीवाल ईश्वर नारायण से बोले-"हुक्म आप पहुंचे ऑफिस ,मैं वाइफ को  छोड़ कर तुरंत हाजिर होता हूँ दफ्तर  l "
 भौंचंके से ईश्वर नारायण बाकलीवाल को जाते देखते रहे !फिर जाने क्या हुआ कार से उतर कर तेज़ कदमों से चल कर ऑपरेशन थियेटर के बाहर जाकर खड़े हो गएl आज पहली बार उन्हे एहसास हुआ कि जिंदगी में पैसा कारोबार ही कुछ नहीं है l उनका बेटा शिव उन्हे हैरानी से देख रहा था --"क्या हुआ पापा ,आप गए नहीं ?मैं तो यहाँ था ही l:हाँ बेटा ,तू तो यहाँ था पर जाने क्यों मैं ही नहीं जा पायाल" कह कर ईश्वर नारायण फफक फफक कर रो पड़े !
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