"दुआ के फूल !"
1
दुआ के फूल
रूह चिड़िया को भी
हैं लौटा लाते l
2
मन है बांटें
भावों के गुलदस्ते
हवा महकें l
3
मेरा ये मन
तुम्हारी दुआओं की
चाह में बीता l
4
खोल के देखो
दुआ के दरवाजे
चैन मिलेगा l
5
विश्वास बुनो
दुआओं का सूरज
उदित करोl
6
तेज भँवर
किनारा पा लिया तो
दुआ जिंदगी l
7
खामोश दुआ
मीलों तक का रास्ता
कंटकविहीन l
8
जाल फैंकता
स्वार्थ का बहेलिया
आओ छुड़ाएँ l
9
लगे अगर
जमीर पर चोट
सज़ा ज़िंदगी l
30
1
दुआ के फूल
रूह चिड़िया को भी
हैं लौटा लाते l
2
मन है बांटें
भावों के गुलदस्ते
हवा महकें l
3
मेरा ये मन
तुम्हारी दुआओं की
चाह में बीता l
4
खोल के देखो
दुआ के दरवाजे
चैन मिलेगा l
5
विश्वास बुनो
दुआओं का सूरज
उदित करोl
6
तेज भँवर
किनारा पा लिया तो
दुआ जिंदगी l
7
खामोश दुआ
मीलों तक का रास्ता
कंटकविहीन l
8
जाल फैंकता
स्वार्थ का बहेलिया
आओ छुड़ाएँ l
9
लगे अगर
जमीर पर चोट
सज़ा ज़िंदगी l
10
यादें
1
विकल प्राण
यादों की आहट है
उल्कापात सी
2
भीगी यादें हैं
मधुर क्ष ण बीते
मन हैं रीते
3
यादें रेशमी
नीर बहते हुए
जल बिन्दु से
4
यादों की डोरी
बिस्तरबंद मन
बंधा ही रहा
5
यादों के पथ
मन की पगडण्डी
भटके हम
6
यादों भरे हैं
मधुकुम्भ मन के
फिर भी प्यासा
7
तारों भरी है
यादों की रजनी भी
मन भी दिप्त
8
गरजती सी
यादों भरी है आंधी
उड़ा मन भी
9
.धूप सी यादें
सूरज से उतरी
मन धरा पे
12
मन तितली
यादों के फूलों पर
मंडराती सी
13
मन लहरें
दरिया के पानी सी
बहती यादें
14
यादें बहकी
छलकते जाम सी
मन छलका
15
मन आकाश
चमकती हैं यादें
चाँद तारों सी
16
यादें अंकित
मन कैनवास पे
तस्वीरों जैसी
17
खामोश यादें
आँखों में आंसू बन
शाम -बरसीं
18
.यादों के लम्हे
साथ साथ चलते
दोस्त हो गए
19
.स्वेटर बुना
यादों भरी ऊन से
मन सलाई
20
शहनाई सी
मन की दुनिया में
गूंजती यादें
21
यादें गरजें
सावन की घटा सी
मन- बरसे
22
.भटकी यादें
आवारा बादल सी
बिन बरसे
23
यादों का चाँद
खोये खोये मन सा
गगन चढ़ा
25
आंसू के जैसी
यादें -पलकों सजी
ठहरी रहीं
26
हौले से आयीं
पतझड़ सी यादें
मन उदास
27
मन पाखी सा
यादों के पिंजरे में
छटपटाता
28
मन डोर पे
पतंग सी यादें
गगन उड़ीं
29
भीगा मौसम
यादें अंकुरित हो
उगती गयीं
1
विकल प्राण
यादों की आहट है
उल्कापात सी
2
भीगी यादें हैं
मधुर क्ष ण बीते
मन हैं रीते
3
यादें रेशमी
नीर बहते हुए
जल बिन्दु से
4
यादों की डोरी
बिस्तरबंद मन
बंधा ही रहा
5
यादों के पथ
मन की पगडण्डी
भटके हम
6
यादों भरे हैं
मधुकुम्भ मन के
फिर भी प्यासा
7
तारों भरी है
यादों की रजनी भी
मन भी दिप्त
8
गरजती सी
यादों भरी है आंधी
उड़ा मन भी
9
.धूप सी यादें
सूरज से उतरी
मन धरा पे
12
मन तितली
यादों के फूलों पर
मंडराती सी
13
मन लहरें
दरिया के पानी सी
बहती यादें
14
यादें बहकी
छलकते जाम सी
मन छलका
15
मन आकाश
चमकती हैं यादें
चाँद तारों सी
16
यादें अंकित
मन कैनवास पे
तस्वीरों जैसी
17
खामोश यादें
आँखों में आंसू बन
शाम -बरसीं
18
.यादों के लम्हे
साथ साथ चलते
दोस्त हो गए
19
.स्वेटर बुना
यादों भरी ऊन से
मन सलाई
20
शहनाई सी
मन की दुनिया में
गूंजती यादें
21
यादें गरजें
सावन की घटा सी
मन- बरसे
22
.भटकी यादें
आवारा बादल सी
बिन बरसे
23
यादों का चाँद
खोये खोये मन सा
गगन चढ़ा
25
आंसू के जैसी
यादें -पलकों सजी
ठहरी रहीं
26
हौले से आयीं
पतझड़ सी यादें
मन उदास
27
मन पाखी सा
यादों के पिंजरे में
छटपटाता
28
मन डोर पे
पतंग सी यादें
गगन उड़ीं
29
भीगा मौसम
यादें अंकुरित हो
उगती गयीं
30
घटा के पंछी!
1
घटा के पंछी
नभ में उड़ते हैं
फैला के पंख
२
जल लहरें
मिट्टी के घरोंदों को
बहा ले गयी
3
मेघ भरें हैं
नभ के दालानों में
९
तरु पे डोली l
१२
बाबुल के चौरे l
घटा के पंछी
नभ में उड़ते हैं
फैला के पंख
२
जल लहरें
मिट्टी के घरोंदों को
बहा ले गयी
3
मेघ भरें हैं
नभ के दालानों में
धूप छांह से l
४
बारिश आई
जंगली गुलाब सी
खुशबू छाई l
५
छाई घटा तो
मोर बांध घुंघरू
बागों में आया
६
मन विभोर
मोरनी संग झूमा
बावरा मोर
७
आई वर्षा
बूंदे बन्दनवार
छटा अनूठी l
८
वर्षा ऋतु में
पुरवाई सी बही
मन में यादें l
९
मेघ पहन
बिज़ली की पायल
नाचे नभ में
१०
पहली घटा
सावन की आई तो
मन भीगा l
११
चह्चहाती
सावन की चिड़िया
तरु पे डोली l
१२
मैं सावन की
घटा बन पहुंची
बाबुल के चौरे l
अकेलापन
1
अकेला पाखी
तरु को छोड़ कर
प्रवासी हुआ l
2
दीप अकेला
अंधकार बुहार
जलता रहा
3
उम्र की संध्या
सूरज की तरह
डूबती गयी l
4
गिरते पत्ते
हवा संग घूमते
तरु अकेला l
5
रुक के देखे
अकेला सा बुजुर्ग
डूबता सूर्य l
5
उदास मन
अकेलापन ओढ़े
डूबता गया l
6
बिछडे पात
तरु अकेला झेले
यह आघात l
7
जीवन साँझ
हिरणी सी दौड़ती
सूरज पीतीl
8
सूने दालान
घेरता अकेलापन
डूबता मन l
9
साथी ढूँढता
जीवन सफर में
अकेला मन l
10
शाम का तारा
अकेलापन हमें
लगता प्यारा l
11
दूर तलक
हाथ थाम साथिया
अकेला मन l
12
आज का दौर
मेरा अकेलापन
मिट्टी सा मन l
"प्रेम!"
1
ऋतु प्रेम की
बसंती हवाओं में
बिखरे रंग
2
प्रेम दीपक
जला जब मन में
खिला यौवन l
3
प्रेम जुगनू
भावों की बाती जल़ा
रौशन हुआ l
4
प्रेम गुलाब
मन को महकाए
नींद उडाये l
5
प्रेम पराग
मौसम पे बरसा
तितली मन l
6
प्रेम से भरी
भूली बिसरी यादें
महका मन l
7
प्रेम पावन
कलकल नदी सा
बहता जाये
8
प्रेम का रंग
दहके पलाश सा
मन रंगता
9
प्रेम पलाश
फागुन हुआ मन
बसंत संग
10
भीगा ये मन
मौसम ने बजाई
प्रेम मृदंग l...
."चिड़िया मन !"
1
ऋतु प्रेम की
बसंती हवाओं में
बिखरे रंग
2
प्रेम दीपक
जला जब मन में
खिला यौवन l
3
प्रेम जुगनू
भावों की बाती जल़ा
रौशन हुआ l
4
प्रेम गुलाब
मन को महकाए
नींद उडाये l
5
प्रेम पराग
मौसम पे बरसा
तितली मन l
6
प्रेम से भरी
भूली बिसरी यादें
महका मन l
7
प्रेम पावन
कलकल नदी सा
बहता जाये
8
प्रेम का रंग
दहके पलाश सा
मन रंगता
9
प्रेम पलाश
फागुन हुआ मन
बसंत संग
10
भीगा ये मन
मौसम ने बजाई
प्रेम मृदंग l...
."चिड़िया मन !"
१
पेड़ों के साये
लरजती धूप में
तपतपाये l
2
मन आकाश
पतंग सी लुटती
नींद हमारी l
3
यादें रोक लें
मन में चलो अब
लगाएं कर्फ्यू l
4
सजी संवरी
चांदनी को देख के
चाँद बिखरा l
5
नींद नभ में
ख्वाब पलकों पर
चिड़िया मन l
6
भीगे मौसम
मन की डायरी पे
स्याही फैलाए l
७
बिछड़े पात
तरु अकेला झेले
यह आघात
8
संध्या की चुन्नी
रंगरेज सा रँगें
डूबता सूर्य l
9
चाँद तारों की
चौपाल बैठी साथ
हुई जो रात l
10
रूह अकेली
शरीर घर छोड़
यात्रा को गयी l
पेड़ों के साये
लरजती धूप में
तपतपाये l
2
मन आकाश
पतंग सी लुटती
नींद हमारी l
3
यादें रोक लें
मन में चलो अब
लगाएं कर्फ्यू l
4
सजी संवरी
चांदनी को देख के
चाँद बिखरा l
5
नींद नभ में
ख्वाब पलकों पर
चिड़िया मन l
6
भीगे मौसम
मन की डायरी पे
स्याही फैलाए l
७
बिछड़े पात
तरु अकेला झेले
यह आघात
8
संध्या की चुन्नी
रंगरेज सा रँगें
डूबता सूर्य l
9
चाँद तारों की
चौपाल बैठी साथ
हुई जो रात l
10
रूह अकेली
शरीर घर छोड़
यात्रा को गयी l
चाँदनी बुनकर
1
एक पीपल
मन खण्डहर में
याद का उगाl
2
सर्द हवाएँ
शाम की पुरवाई में
थिर हो जमी l
3
चुप्पी तोड़ते
खंडहर हवेली में
चूहों के बिल l
4
मौन तोड़ती
अंधेरे में चिड़ियाँ
देख शिकारी l
5
हवा सा मन
आकाश नाप कर
ख्वाब बुनता l
6
नि:शब्द नैन
मन की पीड़ा बुन
नींद चुराते
7
कौन आयेगा
ख्वाबों में बस कर
नीड बनाने ?
8
नभ से भागी
चाँद संग चाँदनी
हुई प्रवासी l
9
चाँद जुलाहा
चाँदनी बुन कर
प्रेम पिरोता l
10
यौवन आया
निंदियारी अँखियाँ
घिरी स्वप्न सेl
"धरा पे जन्नत !"
.
डॉ सरस्वती माथुर
1
धूम धाम से
चढ़ता है सूरज
धूप की घोड़ी l
2।
"धरा पे जन्नत !"
1
पातों पे लगे
शबनमी बिस्तर
धरा जन्नत !
2
नदिया देती
सागर को अस्तित्व
खुद खो जाती !
शबनमी बिस्तर
धरा जन्नत !
2
नदिया देती
सागर को अस्तित्व
खुद खो जाती !
3
आयु की बही
समय महाजन
लिख रहा है l
4
टूटा घरोंदा
हवा कश्तियों पर
लहरें चढ़ी l
आयु की बही
समय महाजन
लिख रहा है l
4
टूटा घरोंदा
हवा कश्तियों पर
लहरें चढ़ी l
5
दोपहरी की
पकड़ के सीढियां
सूरज चढाl
पकड़ के सीढियां
सूरज चढाl
6
नदिया देती
सागर को अस्तित्व
खुद खो जातीl
7
निर्मोही मेघ
सागर को अस्तित्व
खुद खो जातीl
7
ललाती साँझ
नभ की पाग पर
कलगी लगे
8
सागर रेत
प्रेयसी सी तट पे
बिन जल सूखी
9
पूनम चाँद
कृष्ण पक्ष आते ही
पिघल गया
10
सूर्य निकला
स्वर्णिम रथ पर
सागर पारl
" नींद की परी "
1
9
पूनम चाँद
कृष्ण पक्ष आते ही
पिघल गया
10
सूर्य निकला
स्वर्णिम रथ पर
सागर पारl
" नींद की परी "
1
सपना गिरा
उड़न तश्तरी सा
जाने कहाँ पे ?
2
.रवि रथ ले
भोर आई तो, पाखी
चह्चहांये l
2.
खाली पन्नो सी
जिन्दगी की किताब
स्याही से स्वप्न
3.
फूल खिलो भी
तितली ने तुम पे
रंग बिखेरे l
4.
मधुर गीत
चिड़ियाँ ने गा कर
धरा गुंजाई l
5.
रात- जुगनू
दिन के उजास में
कहाँ पे छिपा ?
6
नींद की परी
सपनो से खेलती
आँख मिचौनी l
7
सोया सा गाँव
मुर्गा जब बोला तो
शहर हुआ l
8
चाँद की रोटी
रात थाली में रख
नभ ने खाई l
9
हम हो जाओ
अहम् का" अ" हटा
साथ निभाओ l
10
रास्ता है मुडा
दो पल जो जुडा था
फासले बढे l
उनींदी आँखें
"मन के शब्द !"
1
प्रेम का सिक्का
घर पर खो गया
बुजुर्ग ढूंढे
2
गिरते पत्ते
हवा संग घूमते
तरु अकेला
3
धरा के पास
आई पाहुन बनकर
बूँद ओस की
4
मन होता है
एक खुली किताब
पढ़ते जाओ
5
उड़ती फिरे
सुबह की चिड़िया
पंख पसारेl
6
मन के शब्द
जीवन कागज पे
लिखे मिटाए l
7
पुराने घर
झर झर गिरते
रूहें हैं रोती
8
भोर के रंग
किरणों की चिड़ियाँ
धरा पे लायी
9
दिल झरोखा
यादें आई -बैठीं तो
महका मन
10
मन फूलों पे
खुशबू सी चिट्ठियाँ
महकी सांसेंl
उड़न तश्तरी सा
जाने कहाँ पे ?
2
.रवि रथ ले
भोर आई तो, पाखी
चह्चहांये l
2.
खाली पन्नो सी
जिन्दगी की किताब
स्याही से स्वप्न
3.
फूल खिलो भी
तितली ने तुम पे
रंग बिखेरे l
4.
मधुर गीत
चिड़ियाँ ने गा कर
धरा गुंजाई l
5.
रात- जुगनू
दिन के उजास में
कहाँ पे छिपा ?
6
नींद की परी
सपनो से खेलती
आँख मिचौनी l
7
सोया सा गाँव
मुर्गा जब बोला तो
शहर हुआ l
8
चाँद की रोटी
रात थाली में रख
नभ ने खाई l
9
हम हो जाओ
अहम् का" अ" हटा
साथ निभाओ l
10
रास्ता है मुडा
दो पल जो जुडा था
फासले बढे l
उनींदी आँखें
१
आँख की नमी
एक उच्छ्वास में
मोती सी बनी
२
खाली आँखों से
देख रही बूढी माँ
बेटे की राह
३
उनींदी आँखें
सपनो के नभ में
झुला झुलाये
४
धुंधली आँखें
उम्र की चौखट पे
खड़ा बुजुर्ग
५
पूजो चरण
आँखों में सपने ले
खाद बुजर्ग
६
उनींदे नैन
बुन रहे सपने
भरे वितान
७
मोम सी बूँद
धरा आँख से गिरी
ओस नाम है
८
आँख मिचौनी
खेलती धूप छांह
बदल संग
९
नींद की पारी
सपनो में खेलती
आँख मिचौनी
१०
मीठी सी नींद
जागे से सपने ले
आँखों में तैरी
११
ख्वाबों के दीये
आँखों में जलते से
नींद की बाती
१२
चाँद बदल
खेलें आँख मिचौनी
छिपे तारे भी
१३
आँखों की क्यारी
बो दी है नींद भर
सपने उगे
१४
यादें भरी हैं
आँखों में लबालब
छलके आंसूं
१५
ख्वाबों के पाखी
आँखों में उतरे हैं
नींद नभ में
१६
बहिन उर
भाई का प्यार छिपा
लोचन गीले
१७
परदेस में
भीगी भाई की आँखें
रक्षा पर्व पे
१८
मुखड़ा भोला
नैनो से है रिझाए
मुरली वाला
१९
चल नैन
माखन चोर लल्ला
तोड़े मटकी
२०
यादों के तारे
आँखों के नभ पर
हैं चमकते
२१
नीले सपने
मन आँखों में
नारी है देखे
२२
कैद करा है
चाँद की चांदनी का
आँखों में अक्स l
1
प्रेम का सिक्का
घर पर खो गया
बुजुर्ग ढूंढे
2
गिरते पत्ते
हवा संग घूमते
तरु अकेला
3
धरा के पास
आई पाहुन बनकर
बूँद ओस की
4
मन होता है
एक खुली किताब
पढ़ते जाओ
5
उड़ती फिरे
सुबह की चिड़िया
पंख पसारेl
6
मन के शब्द
जीवन कागज पे
लिखे मिटाए l
7
पुराने घर
झर झर गिरते
रूहें हैं रोती
8
भोर के रंग
किरणों की चिड़ियाँ
धरा पे लायी
9
दिल झरोखा
यादें आई -बैठीं तो
महका मन
10
मन फूलों पे
खुशबू सी चिट्ठियाँ
महकी सांसेंl
"पाहुन मन !
रोली चन्दन
कभी मन लगता
ज्यों वृन्दावन l
2.
चाँद बौराये
चाँदनी देख के
वो ठंडा हो जाए l
3॰
पाहुन मन
पहुंचा तुम तक
करो स्वागत l
4
नभ अकेला
चहचहाये पाखी
तो सज़ा मेला l
5
मन बुहार
यादों की हवाएँ भी
शांत हो गयीl
नभ अकेला
चहचहाये पाखी
तो सज़ा मेला l
5
मन बुहार
यादों की हवाएँ भी
शांत हो गयीl
1.
बिन बरसे गया
धरा अवाक l
२
यादें टेरती
सावनी बदरिया
जब घेरती l
३
मन की धरा
झरना बन जाती
हिलोरें खाती l
४
चलो रे मन
चंचल हवाओं से
गति ले आयें l
५
शोर उड़ाती
यादों की गौरैया तो
मन उडता l
६
धूप का रथ
तप्त धरती पर
दौड़ लगाये l
७
रात थी सोयी
भोर की कोयल ने
उसे उठाया l
८
चंचल मन
हवाओं के संग
रास्ता ही भूला l
९
इचक दाना
हवाएँ हैं गातीं
किसे बुलातीं l
१०
है ता ता थैया
करती नदिया
सागर देख l
............................
धरा अवाक l
२
यादें टेरती
सावनी बदरिया
जब घेरती l
३
मन की धरा
झरना बन जाती
हिलोरें खाती l
४
चलो रे मन
चंचल हवाओं से
गति ले आयें l
५
शोर उड़ाती
यादों की गौरैया तो
मन उडता l
६
धूप का रथ
तप्त धरती पर
दौड़ लगाये l
७
रात थी सोयी
भोर की कोयल ने
उसे उठाया l
८
चंचल मन
हवाओं के संग
रास्ता ही भूला l
९
इचक दाना
हवाएँ हैं गातीं
किसे बुलातीं l
१०
है ता ता थैया
करती नदिया
सागर देख l
............................
डॉ सरस्वती माथुर
1
धूम धाम से
चढ़ता है सूरज
धूप की घोड़ी l
2।