1
मन आँगन में गूँजती ,कहीं ढ़ोल की थाप
धरती पर छाने लगा ,गरबा मधुरालाप l
2
गरबा खेले आंगना ,सजना है अनमोल
रंग रंगीली सजनिया ,चंगसंग बाजे ढ़ोल l
3
गरबा गरबा मन हुआ ,प्रीत प्रेम के रंग
रसभीनी होने लगी ,मन में आस उमंग l
4
पर्व नवरात्र आ गया ,रंग हैं चहुं ओर
झूम झूम लहरा रहे, ढ़ोल चंग का शोर l
डॉ सरस्वती माथुर
http://epaper.bhaskar.com/detail/?id=838312&boxid=101403442392&ch=0&map=map¤tTab=tabs-1&pagedate=10%2F14%2F2015&editioncode=34&pageno=2&view=image
मन आँगन में गूँजती ,कहीं ढ़ोल की थाप
धरती पर छाने लगा ,गरबा मधुरालाप l
2
गरबा खेले आंगना ,सजना है अनमोल
रंग रंगीली सजनिया ,चंगसंग बाजे ढ़ोल l
3
गरबा गरबा मन हुआ ,प्रीत प्रेम के रंग
रसभीनी होने लगी ,मन में आस उमंग l
4
पर्व नवरात्र आ गया ,रंग हैं चहुं ओर
झूम झूम लहरा रहे, ढ़ोल चंग का शोर l
डॉ सरस्वती माथुर
http://epaper.bhaskar.com/detail/?id=838312&boxid=101403442392&ch=0&map=map¤tTab=tabs-1&pagedate=10%2F14%2F2015&editioncode=34&pageno=2&view=image
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें