"माँ चरणों में !"
डाँ सरस्वती माथुर
१.
बौराई प्यास
माता के दर्शन की...
मन को आस।
२.
शुभाशीष दे
संतान सुख चाहे
जननी है माँ ।
३.
माँ चरणों में
चारों है तीर्थ धाम
वन्दनीय है।
४.
अपार प्रेम
माँ है बरसाती वो
परमहंस।
५.
कर्म भी माँ है
परमस्वरूप माँ
धर्म भी माँ है।
६
दीप प्रेम का
विश्वास के तट पे
माँ है जलाती।
७
माँ है सागर
भरती विश्वास की
मन गागर।
डाँ सरस्वती माथुर
13 October 15
डाँ सरस्वती माथुर
१.
बौराई प्यास
माता के दर्शन की...
मन को आस।
२.
शुभाशीष दे
संतान सुख चाहे
जननी है माँ ।
३.
माँ चरणों में
चारों है तीर्थ धाम
वन्दनीय है।
४.
अपार प्रेम
माँ है बरसाती वो
परमहंस।
५.
कर्म भी माँ है
परमस्वरूप माँ
धर्म भी माँ है।
६
दीप प्रेम का
विश्वास के तट पे
माँ है जलाती।
७
माँ है सागर
भरती विश्वास की
मन गागर।
डाँ सरस्वती माथुर
13 October 15
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें