रविवार, 17 अगस्त 2014

"कृष्ण:गीता का सार !"


 


कृष्ण तुम गीत हो 


राधाजी की प्रीत हो  


बांसुरीमें सुर गूँजते


भावतीत संगीत हो


 


 तुम ही हो   ब्रह्मांड


 जैसे चावल में माँड


 सृजनशील  बंसीवाले   


 प्रेम  में मिश्री -खांड  


 


तुम हो  दिव्य अवतार


 गीता का तुम होसार


समशीलसंमधर्मा तुम


जग के हो पालन हार


डॉ सरस्वती माथुर  




"कान्हा की बरजोरियाँ !"


कृष्ण राधा का होता  रास


वृन्दावन में भरजाता सुवास


कण कण में सुर बिखेरती


बांसुरी की  मीठी  मिठास


 


 सर्पिणी सी रेंगती गोपियाँ


 देखें कान्हा की बरजोरियाँ


 रोज माखन मटकी फोड़ते


 कृष्ण कन्हैया की शोखियाँ 


 


 जसुमति मैया को था आभास


पर अंचल में छिपा उर के पास


 गोपियों की बात न माने मैया  


 कान्हा थे  उनके जीवन में खास


डॉ सरस्वती माथुर 


3


' माखन चोर'!


 


 प्यारा गोपाल


 नंद जी का लाल


 रूप हज़ार


वो माखन चोर


 राधा को करता


 कान्हा विभोर


 गैया चरैया


नटखट चितचोर


 कृष्ण कन्हैया


 चित चुरैया


 बाल गोपाल


यशोदा जी का लाल


डॉ सरस्वती माथुर


4


"रसपगी पिचकारी !"


 


राधा प्यारी


 प्रीत लगा के


 कान्हा से हारी


 


  तन मन रंग


 रसपगी- कृष्ण ने


  मारी  पिचकारी


 


  प्रीत प्रेम से


  राधा जी की 


  चूनरी रंग डारी


 


  सांवरी सूरत ने


  प्रेम सुधा  भर


  सुध बुध बिसारी


 


  वृन्दावन में


  राधा जी संग  


  भीगे बनवारी


डॉ सरस्वती माथुर


 5


 


 "नटखट हैं यह कन्हैया लाल!"
बांसुरी बजा

नंदकिशोर खड़े

राधिका संग

वन उपवन हैं

विमुग्ध बड़े

नटखट हैं यह

कन्हैया लाल

मोरपंख पहने

सलोना सा गोपाल

जसुमति मैया के

मन खिवैया

निरखे प्यारी
जसु मैया
दही हंडिया

फोड़ी है गोपाल ने

कहें गोपियाँ

माखनचोर लल्ला

आँचल छिपा

कान्हा को बोले मैया

गया न पनघट

मदन गोपाल

सोया है देखो मेरा

भोला कन्हैया लाल !
डॉ सरस्वती माथुर


6


 "वृन्दावन की कुञ्ज गली में !"
ब्रज की माटी
यशोदा का नंदन
जैसे चन्दन
राधा जी संग
रास रचाता
कण कण में बस्ता
कान्हा का चितवन

बाल रूप में
मैया का चंदा
गोपियों का
नटखट गोविंदा
राधा जी का
कृष्ण कन्हैया
वृन्दावन की
कुञ्ज गली में
आकुल रहता
करने को जन जन
सुंदर सांवरे मोरपंखी
कान्हा के दर्शन

गुंजायमान
आज भी रहती है
कदम्ब की
छैयां के तले
बांसुरी की जलतरंग
स्वर्ग सा मधुरिम
लगता है नंदनवन
हरी हरी डालन से
शोभित मथुरा वृन्दावन !


7


"कृष्ण ही वृंदावन!"
कृष्ण है मंदिर
कृष्ण ही मस्जिद
कृष्ण ही है चर्च
कृष्ण ही गुरुद्वारा

कृष्ण प्रेम रस
कृष्ण ही अंतस
कृष्ण है सुंदर
कृष्ण रूप सरस

कृष्ण ही आधार
कृष्ण गीता सार
कृष्ण प्रेम सुधा
कृष्ण रसधार

कृष्ण है नंदन
कृष्ण ही चंदन
कृष्ण है पावन
कृष्ण ही वृंदावन!
डॉ सरस्वती माथुर


 


 


 "वंशी तान सुनके!"
राधा बौराए
वंशी तान सुनके
बावरी डोले
मधुवन घूमती
कान्हा ओ कान्हा बोले
यमुना तीरे
गोपियाँ हंसें
राधामय हो कृष्ण
बंसी बजाएं
बन में आकुल सी
राधा कृष्ण को देंख
कृष्णमय हो जाए !
डॉ सरस्वती माथुर


 


 "खो गयी बांसुरी !"
पहले की
राधा आती थी
तो कृष्ण की
बांसुरी की धुन पर
प्रेम गीत गाती थी
अब न बांसुरी है
ना राधा और
प्रेम गीत की
परिभाषा भी अब
शोर - शराबें ,पब
,वैलंनटाइन डे, आकेस्ट्रा व
कान फोड़ शोर में
बदल गयी है और
मन पंछी
अब तक घूम रहा ह़ै
प्रेम नभ में
कृष्ण राधा को खोजता !
डॉ सरस्वती माथुर


 






 "रास रचैया के हिंडोले !"
स्नेह -झरी बाँसुरी
अधर -धरी ।
मुरली सुन
बावरी- सी राधिका
ब्रज में डोले ।
वृन्दावन में लग गए हैं
रास रचैया के हिंडोले !
डॉ सरस्वती माथुर
 "बज़ी बांसुरी!"
कृष्ण मुरारी
जसुमति के लाल
नंदगोपाल
मोर मुकुट धार
कृष्ण गोपाल
चराए ग्वाल
बज़ी बांसुरी
वृन्दावन का जन
हुआ निहाल
निहारे मोहन को
खड़ी मुग्ध सी
पकड़ के राधा
कदंब की डाल !
डॉ सरस्वती माथुर
चोका "नैनन में नंदकिशोर !"
जमना तीरे
आए नन्द किशोर
देखे राधा जी
अपलक विभोर ...
श्याम शांत से
देख उन्हे मुस्काए
युगल छवि
राधा को भरमाए
प्रीत डोर के
हिंडोले सज़ जाएँ
राधा संग में
कृष्ण दर्शन कर
जन हर्षाए
बंसी कृष्ण बजाएँ
राधा अधीर
ललित दर्शन से
कृष्णमय हो जाये !
डॉ सरस्वती माथुर






आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !

I wish all Lord Krishna devotees a very Happy Janmashtami.
 
This is a festival of fun and frolic which also teaches us that we should believe in God and should always fight against the wrong.
 
 
I wish you all the blessings of the Almighty to bring joy, prosperity and happiness in your life



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