रविवार, 3 जनवरी 2016

2016 हाइकु ....मन फ़कीर


1
.खींची लकीरें 
संबंधों में जब से 
 मन फ़क़ीर l
2
मन घाट पे 
यादों की गगरी से 
प्यास बुझाई l
3
तितली पांखें 
सतरंगी फूलों से 
महकी सांसें l
4
दो मुंहे से हैं 
नाते रिश्ते भी 
आहत मन l
5
मूंदे नयन 
सपनो की पगड़ी 
पहन डोले l
6
तेज हवा में 
मन हो पतझर 
उडता जाता l
7
पीले हो पात 
पुरवा में उड़ते  
हवा के साथ l
8
हमारा आज 
कलकल बहता 
कल हो जाता l
9.
सपने मरे
 तो डूब गया मन 
नींद भी खोई l
10
बाँध लो मुझे
 प्रेम भरी डोरी से 
बिना गांठ के l 
11
बेआवाज़ आई 
चांदनी चाँद संग 
रात प्रहरी l
12
फासला बढा
गाँव शहर मिले 
सम्बन्ध मरे l
13
गोधूली बेला 
कलकल नदी सा या फागुनी होली सा 
रंगों का मेला l 
14
मन अकेला
 चांदनी की  बेला में
 चाँद से खेला l
15
साँझ शशि सी 
पहाड़ों पर चमकी 
ढली जो धूप l
डॉ सरस्वती माथुर 



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