1
.खींची लकीरें
संबंधों में जब से
मन फ़क़ीर l
2
मन घाट पे
यादों की गगरी से
प्यास बुझाई l
3
तितली पांखें
सतरंगी फूलों से
महकी सांसें l
4
दो मुंहे से हैं
नाते रिश्ते भी
आहत मन l
5
मूंदे नयन
सपनो की पगड़ी
पहन डोले l
6
तेज हवा में
मन हो पतझर
उडता जाता l
7
पीले हो पात
पुरवा में उड़ते
हवा के साथ l
8
हमारा आज
कलकल बहता
कल हो जाता l
9.
सपने मरे
तो डूब गया मन
नींद भी खोई l
10
बाँध लो मुझे
प्रेम भरी डोरी से
बिना गांठ के l
11
बेआवाज़ आई
चांदनी चाँद संग
रात प्रहरी l
12
फासला बढा
गाँव शहर मिले
सम्बन्ध मरे l
13
गोधूली बेला
कलकल नदी सा या फागुनी होली सा
रंगों का मेला l
14
मन अकेला
चांदनी की बेला में
चाँद से खेला l
15
साँझ शशि सी
पहाड़ों पर चमकी
ढली जो धूप l
डॉ सरस्वती माथुर
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