शुक्रवार, 20 मार्च 2015

विश्व गौरैया दिवस पर हाइकु ...20.3.15


विश्ब गौरैया दिवस पर कुछ हाइकु

गौरैया बोली 
हरी हरी डाली पे
मिठास घुली l

औ री गौरैया
मन मधुबन में
गीत बुन जा l

चहचहाती
प्रेम  पिरो गौरैया
 बेटी सी डोली l

आना गौरैया
भोर  पहर आके
प्रभाती गाना l

प्रीत के छ्ंद
 गौरैया है सुनाती 
 चीं  चीं हैं गाती l

 प्रार्थना गीत 
भोर भये गौरैया  
गा के हर्षाती l

तुम गौरैया
आँगन में बेटी सी
छिपी कहाँ हो ?

गौरैया आओ
तुमसे है रोशन
जीवन- भोर l

क्यों हो रूठी
क्यों है घर आँगन
मौन गौरैया ?
१०
भीड़ के नीड
 शोर भरे शहर
लुप्त गौरैया l
डॉ सरस्वती माथुर

 
 











“भीगे सावन में !”
Female head
सावन की भीगीरातों में
महके फूल सी खिलती हूँ
जीवन की वर्षा हूँ ऐसी
सीली- सीली सी रहती हूँ
बढ़ा पींगें झूलोंकी मैं
तरुओं संग मचलती हूँ

चाँद को मुट्ठी में ले सकूँ
सपनों से नींदें भरती हूँ
आंधियों में भी हरदम
दीपक बनकर जलती हूँ

नाव काठ की हूँ मैं ऐसी
भंवर उठे तभी चलती हूँ
साँझ का सूर्य मैं सिन्दूरी
सागर में डूब के  ढलती हूँ
नदी हूँ मैं मिठास भरी
खारे सागर जा घुलती हूँ !
-डॉ सरस्वती माथुर

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