शुक्रवार, 3 जुलाई 2015

साहित्य कुंज में पढ़ें डॉ सरस्वती माथुर के हाइकु अक्स तुम्हारा व अनुभूति में पढ़ें हाइकु मोगरा

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ISSN 2292-9754

अक्स तुम्हारा (हाइकु)

1
मोर है बोले
मेघ के पट जब
गगन खोले l
2
वक्त तकली
देर तक कातती
मन की सुई l
3
यादों के हार
कौन टाँक के गया
मन के द्वार l
4
अक्स तुम्हारा
याद आ गया जब
मन क्यों रोया ?
5
यादों से अब
मेरा बंधक मन
रिहाई माँगे l
6
यादों की बाती
मन की चौखट को
रोशनी देती l
7
साँझ होते ही
आकाश से उतरी
धूप चिरैया l
8
धरा अँगना
चंचल बालक सी
चलती धूप l
9
भोर की धूप
जल दर्पण देख
सजाती रूप l
10
मेघ की बूँदें
धरा से मिल कर
मयूरी हुईl
डॉ सरस्वती माथुर

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मोगरा
 


हवा तितली
मोगरे का रस पी
गंध ले उडीl


तुम्हारी यादें
मोगरे के फूलों सी
गुच्छ में बंधी l


मन अकेला
खुशबू के जंगल
बेला का मेला l


खुशबू भरे
मोगरा फूल झरे
रसपगे से l


मोगरा महका
हवाएँ सुरभित
मन बहका l


मन मोगरा
खुशबू भरी हवा
पिया ना संगl


खुशबू धार
अति मनभावन
मोगरा हार l


हवा का जूड़ा
बेला की वेणी बांध
खुशबू देता l


दूधिया रात
मोगरे से करती
मन की बात l

१०
तारों के फूल
नभ बगिया सज़े
मोगरे लगे l

- डॉ सरस्वती माथुर
२२ जून २०१५
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