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हिन्दी हाइकु(HINDI HAIKU)-'हाइकु कविताओं की वेब पत्रिका'-2010 से प्रकाशित हो रही है। आपकी हाइकु कविताओं का स्वागत है !
Posted by: रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' | जून 30, 2015
at 8:41 पूर्वाह्न
at 4:19 अपराह्न
लहरों-सा सपना
बहता रहा l
दूर है नाव
लहराता-सा पाल
हवा उदास ।
नदी -सा मन
बहता लहरों-सा
सागर हुआ ।
डूबती साँझ
जीवन -सी उतरी
विदा के रंग
क्या खूब । डा सरस्वती जी आप का एक एक हाइकु हीरे मोती से पिरोया हुआ है । बहुत सुन्दर । बधाई बधाई।
धूप- रेवड़
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Responses
at 12:48 पूर्वाह्न
भीगी लहरों संग
खार सोखती ।
बहद गहरे भाव ….
बधाई सरस्वती जी ….!!डा• सरस्वती माथुर
1
सूर्य अलाव
नभ चौपाल जला
धूप सुलगी ।
2
गर्मी के बाण
टपकता पसीना
मन वीरान ।
3
आग हवाएँ
मोम से जीवन को
पिघला जाये ।
4
तपता सूर्य
धूप की लहरों में
अंगारा दिन ।
5
निठुर बड़े
गर्मी के दिन आए
धूप करारी ।
6
धूप तरेरे
लाल आँखें धरा को
रोज डराए ।
7
भाड़ झोंकता
सूरज भड़भूजा
धूप सेंकता ।
8
लपटें उठी
भरी दुपहरिया
जलते शोले ।
9
आग के गोले
सूरज ने उगले
धूप- अंगारे ।
10
लू के भँवर
तांडव करते से
गली में घूमें ।
11
गर्म हवाएँ
तरकश तीर सी
चुभती जाएँ ।
12
गर्मी के दिन
भरी दुपहरी में
जलती तीली ।
1
श्वेत केश थे
सागर लहरों के
खोले हवा ने l
2
रौशन तारे
काले सागर में हैं
लैम्प– से जले l
3
दौड़ लगाते
निढाल हुई धूप
सिंधु नहाई l
4
झरना गिरा
बन के नदी फिर
सागर हुआ l
5
रुनझुन– सी
साँसों की लहरें थीं
दिल सागर l
6
तपस्वी सूर्य
सिन्धु- पहाड़ पर
समाधि साधे l
7
सिन्धु – आँचल
लपेट सूरज को
कहाँ ले गया ?
8
उठी लहरें
सिन्धु में प्यार –भरी
डूबे किनारे l
9
मन की नाव
जीवन– सागर में
गोते है खाती l
10
नींद सागर
सपने अँखुआए
तैरते रहे l
11
तुम हो सिन्धु
बहती है यादों की
सहस्रधारा l
12
सिंदूर लाया
सिंधु की माँग को
सूर्य भरता l
-0-